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ज्योतिषशास्त्र के बारे में

ज्योतिषशास्त्र की व्युत्पति "ज्योतिषां सूर्या दिग्रहाणां बोधकं शास्त्रम्" से की गयी है, अर्थात सूर्यादि ग्रह और काल का बोध कराने वाले शास्त्र को ज्योतिषशास्त्र कहा जाता है। इसमे प्रधानतः ग्रह, नक्षत्र, धूमकेतु आदि ज्योतिः पदार्थो का स्वरुप संचार परिभ्रमणकाल ग्रहण और स्थिति प्रभ्रति समस्त घटनाओं का निरुपण एवं ग्रह नक्षत्रों की गति स्थिति और संचारानुसार शुभाशुभ फलों का कथन किया जाता है।

पारंपरिक वैदिक जयोतिष एक व्यक्ति के जन्म के समय ग्रहों की स्थिति उसकी शिक्षा आजीविका परिवार व्यवसाय(हानि या लाभ) उसकी प्रसिद्धि, गौरव, गरिमा और उसकी व्यवहार्यता और उसके कई कारकों को नियंत्रित करती हैं जो एक मनुष्य की स्थिरता के लिए जिम्मेदार है।सदियों से मनुष्य अपने अस्तित्व की सार्थकता के लिए कुछ अदृश्य अलौकिक एवं सर्वव्यापी बल में विश्वास करता रहा है।

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हस्त निर्मित कुंडली 100 वर्षों के पत्रों द्वारा

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जन्माक्षर

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षड्वर्गी

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जन्मपत्र फलादेश विचार

जन्मपत्र फलादेश विचार से धन की स्थिति, शिक्षा क्षेत्र कैसे रहेगी, सही करियर के विषय में, वित्तीय सुरक्षा, सुखी वैवाहिक जीवन का विषय, संतान संबन्धी समस्या, घर-मकान संबन्धी समस्या, स्वास्थय संबन्धी समस्या, भाग्य कैसा रहेगा, विदेश यात्रा योग है या नही, व्यापार संबन्धी समस्या का पता चलता है।

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कुंडली मिलान विचार

कुंडली मिलान का अर्थ है, दो कुंडलियों की आपस मे तुलना करना। दोनो की कुंडली आपस मे मिलाकर गुण, दोष देखे जाते है और अनुमान लगाया जाता है कि विवाह के पश्चात दोनो का वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा। कुंडली मिलान का एकमात्र उद्देश्य आपके लिये सही पार्टनर का चुनाव करना होता है।

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प्रश्न कुंडली विचार

जब जन्मकुंडली उपलब्ध न हो या प्रश्नकर्ता सम्मुख न हो। मगर उसे अपने प्रश्न का समाधान जल्दी चाहिये हो तो ऐसे मे प्रश्न कुंडली विधि अपनाई जाती है। और प्रश्नकर्ता के प्रश्नों का समाधान उसके द्वारा पूछे गये उसके प्रश्न की उस घडी के अनुसार दिया जाता है।

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मुहुर्त विचार

कोई भी शुभ कार्य करने के पहले मुहुर्त विचार किया जाता है। विवाह, उपनयन, ग्रहनिर्माण, ग्रह प्रवेश, व्यापार प्रारम्भ, नौकरी प्रारम्भ, यात्रा प्रारम्भ करने के पहले मुहुर्त विचार करवाने से उस कार्य का सही समय पता चलता है।

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वास्तुदोष विचार / परिहार

शास्त्रों में कहा जाता है कि प्रथम सुख निरोगी काया अर्थात शरीर को स्वस्थ रखना व्यक्ति का प्रथम लक्ष्य है। यदि मनुष्य का शरीर स्वस्थ होता है तो वे दैनिक कार्यों को सुचारू ढंग से करने में सक्षम रहता है. वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर-मकान से जुड़े दोष व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करते हैं ।


भवन निर्माण, फ़ैक्ट्री निर्माण, दुकान, आफिस निर्माण के दौरान कई प्रकार के वास्तु दोष रह जाते हैं। इन्हें दूर करने के लिए सही विधि का उपयोग वास्तु-दोष में काफी हदतक राहत प्रदान करता है।

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लव लाइफ

पिछले दो दशकों में, विवाह विशेषज्ञों ने एक खुशहाल विवाह के अवयवों पर शोध किया है। परिणामस्वरूप, हम पहले से कहीं अधिक सफल विवाह के निर्माण के बारे में अधिक जानते हैं।

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पूजा एवं अनुष्ठान

महा मृत्युंजय जप
मृत संजीवनी पूजा
मंगल दोष निवारण पूजा